...

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कल को आज लिखना है
कल सांझ को निमंत्रण मिला ,
आज फिर से अपने कल से मिलना है;
अब उठो तुम है इंतजार किसका,
प्रेम से कल को आज लिखना है।

यादों के झरोखों में तस्वीर लिए,
बेसब्री से उनकी राह तकना है;
ख्वाबो की थी मुलाकात हमारी,
आज फिर से आंखों से वार करना है।

दिन लगे जैसे यादों का विरह प्रहर,
आज अश्रु बन आंखों में चमकना है;
मन के निर्झर उपवन में ,
पुष्प बन उन में प्रतिपल महकना है।

उत्सुकता है इतनी व्याकुल मन को,
अनंत अनिमेष बस देखते रहना है;
अपने जीवन के पन्नो पर उनके साथ,
प्रेम से कल को आज लिखना है।



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