निकाली जायेगी...💯✍️ (गजल)
जाने कब मेरे पैरों से
बेड़ियां निकाली जायेगी
सही होकर भी मुझमें
खामियां निकाली जायेगी
क्या गुजरती होगी उन पे
जो मोहब्बत में हारे हैं
रुआंसे गले से मगर
सिसकियां निकाली जायेगी
मोहब्बत कुछ नहीं है
जरूरत के सिवा जहां में
कबूतरी पकड़ने को
तितलियां निकाली जायेगी
उस खुदा से क्या डरेंगे
वो जो दिल दुखाते है?
उनकी भी एक दिन
शेखियां निकालीं...
बेड़ियां निकाली जायेगी
सही होकर भी मुझमें
खामियां निकाली जायेगी
क्या गुजरती होगी उन पे
जो मोहब्बत में हारे हैं
रुआंसे गले से मगर
सिसकियां निकाली जायेगी
मोहब्बत कुछ नहीं है
जरूरत के सिवा जहां में
कबूतरी पकड़ने को
तितलियां निकाली जायेगी
उस खुदा से क्या डरेंगे
वो जो दिल दुखाते है?
उनकी भी एक दिन
शेखियां निकालीं...