...

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मैं किसी भी हिस्से - किस्से में नहीं आता
मैं इसके - उसके हिस्से में नहीं आता
इतनी आसानी से किस्से में नहीं आता
कैसे बताऊं हकीकत में कहानी क्या है
मैं ज़माने के किसी रिश्ते में नहीं आता

आज कल फसानों की भीड़-भाड़ बहुत है
क्या करूं साहब मैं खिलौने में नहीं आता
ज़ख़्मों के निशानों का क़र्ज़ अदा करना है
मैं ख़ामोशी से किसी भी चर्चे में नही आता

किताबों के पन्नों पे तमाम बातें समेट...