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एक कविता
सोचा कि आज एक कविता लिखूं ,
फिर सोचा कि एसा क्या लिखूं ?
जो सबके मन को भा जाए,
सब बार-बार पढ़ते रह जाए।।
उठी मन में नई तरंग सी,
ख्यालों की लग गई एक होड़ सी।
पहले तो एक शीर्षक चुना,
पर उससे कोई काम नही बुना।।
कुछ लिखने की कोशिश की,
शब्दों से शब्दों की जुड़ी लड़ी।
शीर्षक अभी तक भी न था चुना,
बस लिखती जा रही थी बेवजह।।
अंत में अपनी लेखनी पर नजर डाली,
खुद ने खुद के लिए बजा दी ताली।
आशा है की सबको यह पसंद आ जाए,
और जिनको ना आए वे भी लाइक दिला जाए।।
© shi_writes
फिर सोचा कि एसा क्या लिखूं ?
जो सबके मन को भा जाए,
सब बार-बार पढ़ते रह जाए।।
उठी मन में नई तरंग सी,
ख्यालों की लग गई एक होड़ सी।
पहले तो एक शीर्षक चुना,
पर उससे कोई काम नही बुना।।
कुछ लिखने की कोशिश की,
शब्दों से शब्दों की जुड़ी लड़ी।
शीर्षक अभी तक भी न था चुना,
बस लिखती जा रही थी बेवजह।।
अंत में अपनी लेखनी पर नजर डाली,
खुद ने खुद के लिए बजा दी ताली।
आशा है की सबको यह पसंद आ जाए,
और जिनको ना आए वे भी लाइक दिला जाए।।
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