घर का छत
घर की छत और बचपन, वो यादों का आसमान,
जहाँ उड़ते थे सपने, जैसे पतंगों के रंगीन सामान।
छत पर बैठकर देखना, सूरज का ढलता रंग,
वो छोटी-छोटी बातें, जो दिल को करतीं तंग।
बारिश की बूँदों में, छत पर नाचते पांव,...
जहाँ उड़ते थे सपने, जैसे पतंगों के रंगीन सामान।
छत पर बैठकर देखना, सूरज का ढलता रंग,
वो छोटी-छोटी बातें, जो दिल को करतीं तंग।
बारिश की बूँदों में, छत पर नाचते पांव,...