...

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मैंने कहा वो अनजान है। Part2
मैंने कहा वो अनजान है,
पर उसने कहा फिर,

क्यों तेरा दिल करता बार-बार उसका दीदार है?
यू तो खामोश से हो गए,
होंठ सुनके उसकी बात,
कहा तो उसने सही क्योंकि है,
तो वो एक अनजान।

लेकिन फिर आंखें क्यों ढूंढती हैं?
हर-पल!
समझ में नहीं आती,
क्यों है मन में इतनी हल चल?
फिर दिया बात का,
उसने बड़ी खूबसूरती से जवाब।

जिसको सुनकर हो गई,
मैं फिर से कुछ देर के लिए शांत।

उसने कहा देख मन तेरा करता है ,
इजहार !
पर दिमाग तेरा करता है ,
इनकार!
बात तो बस इतनी सी है ,
की दिमाग तेरा दिल पर हावी है ,
जो सुन नहीं रहा तेरे दिल की बात।

पता नहीं
कहां फंस गई मैं,
इस इंकार और इजहार के जाल में ,
अब तो लग रहा है,
शायद!
मैं खुद को ही भूल गई,
इस संसार में ।

क्या मिलेगा मुझे इस बात का जवाब ?
या
क्या सोचती रह जाऊंगी मैं यह बात?
© Dolphin 🐬 (Prachi Goyal)