मयखाने
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
तुम झूम जाते हो जितने में
बचे उतने अधूरे मेरे पयमाने हैं
© Poet Sartaj Ahmad
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
तुम झूम जाते हो जितने में
बचे उतने अधूरे मेरे पयमाने हैं
© Poet Sartaj Ahmad