क्य अब करु ए दिल
मुस्कान में तेरे खो गई
आंखों में तेरे डूब गई
हुई मोहब्बत तुझसे कुछ ऐसी
की में खुद को भी भूल गई
ना जाना कब रात हुआ
ना जाना कब सुबह हुई
सूरज डूबा कब और चांद कब निकली
मुलाकात की घड़ी को देख में खाना पीना भी भूल गई
जब मिली तुझ से तो में अकेले में मुस्कुराना सीख गई
मोहब्बत में तेरे पागल सी हो गई
समझ आया फिर गलती मेरी
ना था तू मेरा और ना...
आंखों में तेरे डूब गई
हुई मोहब्बत तुझसे कुछ ऐसी
की में खुद को भी भूल गई
ना जाना कब रात हुआ
ना जाना कब सुबह हुई
सूरज डूबा कब और चांद कब निकली
मुलाकात की घड़ी को देख में खाना पीना भी भूल गई
जब मिली तुझ से तो में अकेले में मुस्कुराना सीख गई
मोहब्बत में तेरे पागल सी हो गई
समझ आया फिर गलती मेरी
ना था तू मेरा और ना...