...

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डरी ! पर चली तो सही...
डरना वरना लगा तो था
पर चलना बड़ा जरूरी था
और तुमने काम किया बड़ा
जो कदम तेरा शिखर की ओर बढ़ा
मायने ये नही रखता है की कितना डरी
मायने ये रखता है की तुम चली
चली चली हां तुम चली...
हां डर डर कर बढ़ी, पर निरंतर चली तो सही
सो पा गई सफलता बड़ी और अंततः बन गई पापा की परी...!

है ये प्रभु की बड़ी कृपा जो देदी सफलता इतनी बड़ी तो आओ करें हम उनकी स्तुति ।।


© प्रशांत•§