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राह
ना मिलना
ना राह तकना,
कभी अकेले सुन सान
जगह पर तुम
क्योंकि ज़माना
कुछ और ही सोच लेते है",,
क्योंकि ज़माना खुद के
आँख कान से ज्यादा
दूजो के आँख कान पर
ज्यादा यकीन करते है",,
गए थे हम दरिया के पास
कुछ पानी लेने के वास्ते
और उसने इल्ज़ाम लगा दिया
पूरी के पूरी दरिया ही हम चुरा लाये है"..
ना राह तकना,
कभी अकेले सुन सान
जगह पर तुम
क्योंकि ज़माना
कुछ और ही सोच लेते है",,
क्योंकि ज़माना खुद के
आँख कान से ज्यादा
दूजो के आँख कान पर
ज्यादा यकीन करते है",,
गए थे हम दरिया के पास
कुछ पानी लेने के वास्ते
और उसने इल्ज़ाम लगा दिया
पूरी के पूरी दरिया ही हम चुरा लाये है"..
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