पहचान...!
एक वक्त था जब वह बुझी सी रहती थी..
उसके चेहरे की रौनक धुंधली सी हो गई थी...
पर्वाह करती समाज के बंधनो में दबी थी..
खुद की कामयाबी की खोज में डूबी रहती थी...
जिंदगी ने ऐसा मोड़ लिया कि...
उसके चेहरे की रौनक धुंधली सी हो गई थी...
पर्वाह करती समाज के बंधनो में दबी थी..
खुद की कामयाबी की खोज में डूबी रहती थी...
जिंदगी ने ऐसा मोड़ लिया कि...