"प्रेम"
"प्रेम-भाग दो"
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प्रेम बन्धता नहीं मोह वाली डोर से;
प्रेम तो मुक्ति है।
प्रेम को मतलब नहीं दुनिया के बेवजह के शोर से;
प्रेम तो खोजता है अपने प्रेमी की खुशियों की युक्ति है।
प्रेम को मतलब नहीं गुलाबी आंखों से;
प्रेम तो दिल की भक्ति है।
प्रेम का...
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प्रेम बन्धता नहीं मोह वाली डोर से;
प्रेम तो मुक्ति है।
प्रेम को मतलब नहीं दुनिया के बेवजह के शोर से;
प्रेम तो खोजता है अपने प्रेमी की खुशियों की युक्ति है।
प्रेम को मतलब नहीं गुलाबी आंखों से;
प्रेम तो दिल की भक्ति है।
प्रेम का...