...

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सहेज कर तेरी यादों को
सहेज कर तेरी यादों को बरसो से,
मैं अपने दिल से लगाए बैठी हूं...
मैं ना जाने कब से तेरे,
वापस लौट आने की आस लगाए बैठी हूं...।
तेरी यादें, मुझे जीने नही देती,
रातों में भी नींद आने नही देती...।
क्यों तड़पाती है तेरी, यादें मुझे इस कदर...।
हंसना तो मैं भूल गई,
तेरी यादें अब तो मुझे रोने भी नही देती...।
शायद यही तक का साथ था वो,
जो भी था...