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तेरी याद आती है
तेरी याद आती है

जब कहीं भीतर कोई रंग झड़ जाता है
कोई धुआँ भर आता है
कोई तार विखर जाता है
तेरी याद आती है

अपनी हीं छाया से जब मन दूर भागता है
एक खंडहर के सन्नाटे में
चक्कर काटता है
तेरी याद आती है

जब कोई पाँव रौंद जाता है एक हरी नर्म दूब को
और एक चीख फिर वहीं लौट आती है
तेरी याद आती है

अंधेरा पास जब आता है
भीतर सन्नाटा कुछ और गहराता है
कोई लहर जब थिर जाती है
कोई लौ...