ग़ज़ल
घर भी कच्चा था हो गई बारिश
मेरी ह़ालत पे रो गई बारिश
मर गया छत न आई ह़िस्से में
दाग़ ग़ुर्बत के धो गई बारिश
ख़ून पी कर के जो बड़े...
मेरी ह़ालत पे रो गई बारिश
मर गया छत न आई ह़िस्से में
दाग़ ग़ुर्बत के धो गई बारिश
ख़ून पी कर के जो बड़े...