यादों के साए में तेरा इंतज़ार
कैसे बयां करूँ...
उसकी यादें इस भीड़ में भी मेरा पीछा नहीं छोड़तीं,
अब कब मिलेंगे हम, यही खयाल हर लम्हा मेरी रूह को तड़पाता है।
हर घड़ी उसकी याद दिल को छू जाती है...
उसके बिना जैसे मैं अधूरी सी हूँ,
मेरी हर बात में उसका ज़िक्र रहता है,
हर किसी से मिलूँ, तो उसे ही याद करती हूँ।
कोई गुज़रा लम्हा जब याद आता है,
चेहरे पर मुस्कान आ जाती है,...
उसकी यादें इस भीड़ में भी मेरा पीछा नहीं छोड़तीं,
अब कब मिलेंगे हम, यही खयाल हर लम्हा मेरी रूह को तड़पाता है।
हर घड़ी उसकी याद दिल को छू जाती है...
उसके बिना जैसे मैं अधूरी सी हूँ,
मेरी हर बात में उसका ज़िक्र रहता है,
हर किसी से मिलूँ, तो उसे ही याद करती हूँ।
कोई गुज़रा लम्हा जब याद आता है,
चेहरे पर मुस्कान आ जाती है,...