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दिल और दिमाग में ये कैसी कश्मकश
दिल और दिमाग में ये कैसी कश्मकश चल रही है
एक - दूसरे पे बस आज कल इक वश चल रही है
कौन किससे हार रहा कौन किससे जीत रहा यहां
आहिस्ता - आहिस्ता दोनों में चपक़ुलश चल रही है

ये दिल हर वक़्त, हल पल जज़्बाती होकर सोचता
एहसासों को लेकर यहां इंतिज़ार-कश चल रही है
सुझबुझ के साथ ज़माना की ताल-मेल में ये दिमाग
इसकी उसकी बातों में बस कश्मकश चल रही है
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