...

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राम...
जीवन की शुरुआत, मंगलमय काज में,
सुबह की भोर,
सांझ के दीपों ध्यान में है राम।
दुःख-सुख, आश्चर्य के भावों में राम।
संस्कारों, गीतों और उत्सवों में राम।
जीवन के अंतिम क्षणों में राम।
आज्ञाकारी, सदाचारी, सदाचरण सद्चरित्र और ब्रह्मचारी है राम।
न एक जीव, न एक वंश, न एक राष्ट्र के है,
अपितु सकल सृष्टि के है राम।

न्याय सबको मिले समान,
चाहे सिंहासन का धनी हो या कोई आम।
नियम सब पर लागू होंगे,
चाहे फिर वो खुद ही क्यों न हुए राजा राम।
भीलनी शबरी की जूठन,
पत्थर की अहिल्या को किया हो जीवंत,
या हो ठोकर खाया विभीषण,
पाप मिटाने,
जन-जन को मानवता का पाठ पढ़ाने,
एक तारक, एक उद्धारक, रक्षक और मित्र आदि रूप है राम।
सदियां गुज़र गई,
संस्कृतियां कई उपजी और कई उजड़ गई।
आज सदाचार और विचारों में बेशक नहीं है
मगर प्रचारों में राम ही राम।
✍️मनीषा मीना