...

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ये हवाएँ
सोचा था कि - भूल जाऊँ सबकुछ ये हवाएँ जो याद
दिलाती वो अनकही बातें।
सर्द रातोंने फिर से आग दिल मे जगाई कितनी मुश्किलों
से छोड़ आई थी मैं वो बीती रातें।।

अंजान थे कहां पता था दिल से दिल जुड़कर फिर एक
दिन बेलावारिस बन बिखरना था।
नसीबने करवटें बदल कुछ यूँ लिखा कि अजनबियों का
साथ टूटकर एकदूजे से बिछड़ना था।।

मन में...