...

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शीर्षक - मर-मर जी रहा।
शीर्षक - मर-मर जी रहा।

दफ़्न है कुछ राज दिल में,
ज़ुबाँ पे लगा इक ताला है।
ज़हन में पल रहे निशाँ मेरे,
बदन में दर्दों का ज्वाला है।

टूटे हुए ख़्वाईश पड़े मेरे,
एहसासों में पड़ा छाला है।
फिर रहा हूँ लेकर जख़्म,
गले में ज़ख्मों...