bachpan se bada hota mann
कैद कर यादों को तसवीरों में
एक पिटारे में बंद है बचपन
खोलता हु उसे हर रात में
जब
ख़तम होते है
दिन भर का ये झूठा
जीवन
हसी जब सच्ची होती
बाते तब बच्ची होती
जब नादान था बड़ा मन
किसी को भी कुछ बोल देते थे
बिना कारण
कोशिश है उसे जगाने की
जो बच्चा सोया है उसको
उठानके की
पर याद दिलाता है हर कोई
अब बच्चे नहीं हो तुम...
एक पिटारे में बंद है बचपन
खोलता हु उसे हर रात में
जब
ख़तम होते है
दिन भर का ये झूठा
जीवन
हसी जब सच्ची होती
बाते तब बच्ची होती
जब नादान था बड़ा मन
किसी को भी कुछ बोल देते थे
बिना कारण
कोशिश है उसे जगाने की
जो बच्चा सोया है उसको
उठानके की
पर याद दिलाता है हर कोई
अब बच्चे नहीं हो तुम...