...

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जीवन का सत्य
है राह सजी जीवन पथ की
मौसम सिंदूरी होने लगा
टूटी है लाठी जीवन की
ये कैसा सवेरा होने लगा
सबकी आँखे नम होने लगी
चहरे की चमक भिगोने लगी
उतरा न रंग एक स्याही का
दुनिया क्यों ऐसे रोने लगी
शायद उम्मीदे टूटी है
रिश्तों की डोरी छूटी है
चल रही रीत यहाँ दुनिया की
या नमी आँख की झूटी है
मखमली सेज पर सोता था
आनंदित मन दामन कर के
अब...