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ये है एक चिड़ियां की कहानी ।
छोटी सी उसकी दुनिया थी,
छोटी थीं उसकी जिंदगानी,
ऊंचे सपने पर टूटे दिल के ख्वाब थे बिखरे,
जब शुरू हुई एक नई कहानी।

सबने उसका साथ था छोड़ा,
उससे चाहते थे उसके सपनो की कुर्बानी,
घर में रहे, दर्द सहे, पर कुछ न कहे,
समाज की सपनो के खिलाफ एक और हैवानी।

चिड़िया ने सब छोड़, फिर उड़ना चाहा,
डर ने याद कराई बात पुरानी,
संभल के उड़ना, भरोसा ना करना,
दिल-दिमाग की फिरसे खींचा तानी।

उड़ने का फैसला बड़ा था,
सपनो की चाहत जो थी रूहानी,
पर गिरने के डर का साया घना था,
अपने अंदर फिर एक हिम्मत थी जगानी।

पंख फहराए, उम्मीद लहराए, चिड़िया उड़ी,
पर कोशिशें तोडने की कठिनाई ने ठानी,
चिड़िया बेचारी दस कोशिशों में सौ बार गिरी,
पर हार न मानी, न चलने दी उसने किस्मत की मनमानी।

ग्यारहवीं बार शगुन ले आया,
फिर एक कोशिश ने उसको बाज़ी थी जीतानी,
चिड़ियां उड़ी, खूब ऊंची उड़ान थी उसने भरी,
चिड़ियां का संघर्ष प्रेरणा बन हैं आज सबकी ज़बानी।

© Literaria