रूह से by गुंजन
बहना था उसे
सिर्फ़ बहना था
झरने सा स्वच्छंद
पर्वत सा बेख़ौफ़
बादल सा बेफ़िक्र
नदी सा पवित्र
बारिश सा बेचैन
बहना था उसे
सिर्फ़ बहना था
एक राग सा कर्णप्रिय
एक गीत सा मधुर
एक मुस्कान सा हल्का
एक स्पर्श सा पाक़
एक हँसी सा बेबाक़
एक आँसू सा बेकल
बहना था उसे
सिर्फ़ बहना था
बस अपनी ही धुन में
बहना था उसे।
#रूहसे
#गुंजन
सिर्फ़ बहना था
झरने सा स्वच्छंद
पर्वत सा बेख़ौफ़
बादल सा बेफ़िक्र
नदी सा पवित्र
बारिश सा बेचैन
बहना था उसे
सिर्फ़ बहना था
एक राग सा कर्णप्रिय
एक गीत सा मधुर
एक मुस्कान सा हल्का
एक स्पर्श सा पाक़
एक हँसी सा बेबाक़
एक आँसू सा बेकल
बहना था उसे
सिर्फ़ बहना था
बस अपनी ही धुन में
बहना था उसे।
#रूहसे
#गुंजन