रूह से by गुंजन
बहना था उसे
सिर्फ़ बहना था
झरने सा स्वच्छंद
पर्वत सा बेख़ौफ़
बादल सा बेफ़िक्र
नदी सा पवित्र
बारिश सा बेचैन
बहना था उसे...
सिर्फ़ बहना था
झरने सा स्वच्छंद
पर्वत सा बेख़ौफ़
बादल सा बेफ़िक्र
नदी सा पवित्र
बारिश सा बेचैन
बहना था उसे...