पक्षियां
सूरज की पहली किरण के साथ इनकी चहचहाहट,
इनकी मृदुल आवाज़-सी न कोई गुनगुनाहट।
इनके चहचहाने से मिलता है आनंद,
नहीं मिलता नाच, गाने और खाने में शकरकंद।
इनके चहचहाने से हर काम हो जाता है आसान,
तभी मिलता है हमें हर परिस्थिति का समाधान।
कवियों ने लिखी इन्हीं से हर बोली है,
इनकी हर बोली ने बुराई की पोल खोली है।
अब बता दूं, हमारे लक्ष्य को बना रहे कौन सफल हैं,
पक्षियां ही हमारे जीवन रुपी गीत की असली ग़ज़ल है।
इनकी मृदुल आवाज़-सी न कोई गुनगुनाहट।
इनके चहचहाने से मिलता है आनंद,
नहीं मिलता नाच, गाने और खाने में शकरकंद।
इनके चहचहाने से हर काम हो जाता है आसान,
तभी मिलता है हमें हर परिस्थिति का समाधान।
कवियों ने लिखी इन्हीं से हर बोली है,
इनकी हर बोली ने बुराई की पोल खोली है।
अब बता दूं, हमारे लक्ष्य को बना रहे कौन सफल हैं,
पक्षियां ही हमारे जीवन रुपी गीत की असली ग़ज़ल है।