...

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मील पत्थर
जब भी मन में छाने लगें गहरे अंधेरे
देना आवाज़,मैं लौटूंगा बनके सुनहरे सवेरे,

भटके ना कोई मुसाफ़िर मंज़िल से,तुम
मील पत्थर बना देना चेहरे पे मेरे,

मेरी ख्वाहिशें तो ख़ाक हो गई, दुआ
करता हूं कभी ना जले ख़्वाब तेरे,

पास कोई ना जब अपना रहा,तो
किस काम के ये दौलत ये हीरे,

बुझी मशालों को भी दहका दूं
बस खंजर से कोई मेरा सीना चीरे,

यूं तो मलाल ना कोई ज़िन्दगी से
बस वादे वफ़ा के ना कर पाया पूरे,

पर दुनियां भी करती बातें हैं उनकी
बिछड़कर भी 'ताज' ना जो रहते अधूरे।
© taj