...

14 views

नामुमकिन मंजिल
मुश्किल से भरा एक रास्ता हो
मंज़िल भी मेरी नामुमकिन हो
दुनिया से अलग कुछ करनें की
चिंगारियां मेरे रगों मे भी हो

दुनिया से अलग कुछ करनें से
पागल कह जायेगा सारा जहां
कहनेवाले करोड़ों भी हो
लड़नेवाला बस मैं ही बनूं

कदम-कदम पर राहों में मेरी
चुनौतियों की दस्तक हो
बस कहता है यह सारा जहां
कर जाने वाला मैं ही बनूं

दौड़ती है सारी दुनियां
सिस्टम ने बनाई रेसिंग में
दौड़ में दौड़ता मैं तो नहीं
नयी राह बनाता मैं ही रहूं

जीवन के पथ पर चलता
एक छोटा-सा मैं मुसाफिर हूं
रास्ते अलग मैं खोजता हूं
खुद उनपर चलता जाता हूं

आओ मुश्किलों ललकरो मुझे
मेरे रास्तों में बाधा बनकर
दुनिया के सुख-दुख के परे
एक जंग के लिए तैयार मैं हूं

ए मन मेरे इतना तू कर
बस तुटने ना दे कभी हिम्मत
मेरी जान से परे मेरी मंजिल हो
मंजिल ही मेरी मोहब्बत हो

सोच यह दुनिया की हैं जितनी
उसके परे मैं बढ़ जाउंगा
मंजिल कितनी नामुमकिन है
मुमकिन करके दिखलाऊंगा
- सुमेध गायकवाड