...

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सफर
धीर धरो तुम.... कि वक़्त अभी मुश्किल है !
जब चलोगे राह पे तो कोई नहीं साथ होगा.... हाँ पग-पग पर तू शायद निराश होगा......

कभी अंधेरा घना होगा कभी उम्मीद का प्रकाश होगा..... कभी लोग तेरा विरोध करेंगे कभी कोई अपना साथ होगा......

कभी थक के रुकेगा तू कभी देख कुछ उजाला फिर चलेगा तू...... हर बार जीत तो नहीं होगी....मगर हार भी तय नहीं होगी......

जब मंजिल करीब होगी......हर कोई अपना बनेगा.... ललचाई नजरों में घिरा रहेगा !!
संघर्षो को भुला मत देना..... सफर को संजोये रखना.....

सीख बनेगा तेरा बीता कल...... दुसरो को प्रोत्साहित करेगा
जब किसी मुसाफिर को अंधेरा हतोत्साहित करेगा.....


© VISHAKHA