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गरीब.....जो दिल का है...!
गरीब......
कौन है गरीब....
जो दो वक़्त की रोटी के लिए मेहनत करता है
या जिसके पास कोई अपना ठिकाना नहीं है
या जिसके तन पर अच्छे लिबास नहीं है
ना.....गरीब तो वो है ही नहीं साहब....!
जिसकी हैसियत खुदके ख्वाबों को मारकर दूसरों को जिंदा रखते है......!
तो फिर कौन है गरीब जो
असल में को देने की बजाय
सिर्फ लेने की चाह रखते है वो ही है गरीब....
जो सिक्कों की खनखानाहट में
रिश्तों का लिहाज करना भूले वो ही है गरीब....
जिसे आदत पड़ गई हरवक्त
दूसरों को ग़लत खुदको सही कहने की वो ही है गरीब...
जो इन्सानियत भूल कर
हरवक्त धोखेबाजी में लगा रहता है वो ही है गरीब.....!
गरीब...
ये कोई शब्द भौतिक वस्तु से तोलने के लिए है ही नहीं...
ये वो शब्द है जिससे पता चलता है इंसान जिंदा है या नहीं
जिसकी आत्मा दूसरों का दर्द महसूस करे वो अमीर....
और जो ना महसूस करे दर्द किसका वो ही है गरीब....!
कौन है गरीब....
जो दो वक़्त की रोटी के लिए मेहनत करता है
या जिसके पास कोई अपना ठिकाना नहीं है
या जिसके तन पर अच्छे लिबास नहीं है
ना.....गरीब तो वो है ही नहीं साहब....!
जिसकी हैसियत खुदके ख्वाबों को मारकर दूसरों को जिंदा रखते है......!
तो फिर कौन है गरीब जो
असल में को देने की बजाय
सिर्फ लेने की चाह रखते है वो ही है गरीब....
जो सिक्कों की खनखानाहट में
रिश्तों का लिहाज करना भूले वो ही है गरीब....
जिसे आदत पड़ गई हरवक्त
दूसरों को ग़लत खुदको सही कहने की वो ही है गरीब...
जो इन्सानियत भूल कर
हरवक्त धोखेबाजी में लगा रहता है वो ही है गरीब.....!
गरीब...
ये कोई शब्द भौतिक वस्तु से तोलने के लिए है ही नहीं...
ये वो शब्द है जिससे पता चलता है इंसान जिंदा है या नहीं
जिसकी आत्मा दूसरों का दर्द महसूस करे वो अमीर....
और जो ना महसूस करे दर्द किसका वो ही है गरीब....!
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