मुझ जैसी लड़की।।
ना दुनिया की समझ ना सही और गलत का फर्क
इश्क के रंग से रंग दिया वरक
ना तजुर्बा ना समझदारी बड़ी कमसिन थी वो
तूफान में कस्ती उतारे बड़ी मासूम थी वो
इश्क की कमाई से घर–घर खेलती
अपनी धुन में मस्त वो मीरा सी लड़की
चांद से दिल लगा कर जमीन से वफा मांगती
हवाओं से लड़ने वाली वो पतंग सी लड़की
जब आंख खुली तो थी नहीं वो अब भी छोटी सी लड़की
दिल को हथेली पर परोस कर देने...
इश्क के रंग से रंग दिया वरक
ना तजुर्बा ना समझदारी बड़ी कमसिन थी वो
तूफान में कस्ती उतारे बड़ी मासूम थी वो
इश्क की कमाई से घर–घर खेलती
अपनी धुन में मस्त वो मीरा सी लड़की
चांद से दिल लगा कर जमीन से वफा मांगती
हवाओं से लड़ने वाली वो पतंग सी लड़की
जब आंख खुली तो थी नहीं वो अब भी छोटी सी लड़की
दिल को हथेली पर परोस कर देने...