...

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ग़ज़ल
12122-12122-12122-12122
अभी मोहब्बत में दिल है डूबा अभी तिजारत हुई नहीं है
कोई न टूटा अभी सितारा कोई क़यामत हुई नहीं है

तू ख़ूब कर ले सितम ऐ जानाॅं अभी है सब कुछ मुआफ़ तुमको
अभी है मासूम दिल की राहें अभी अदावत हुई नहीं है

जो पहली सफ़ में नमाज़ पढ़ के सुकूॅं न चेहरे पे झिलमिलाया
अभी जमा है नहीं भरोसा अभी इबादत हुई नहीं है

न मंदिरों में न मस्जिदों में वो दाता दोनों जगह नहीं है
जहां वो बैठा वो तेरा दिल है अभी ये आदत हुई नहीं है

तू ढूंढ मुर्शिद कोई जहां में बनाए क़ाबिल जो दिल से तुझको
अभी तो कच्चा है ध्यान तेरा अभी हरारत हुई नहीं है

अभी नशा है तेरी मोहब्बत अभी भरम है तेरी शराफत
अभी सलामत है ताज़ तेरा अभी बग़ावत हुई नहीं है

नहीं है आसाॅं ये शेर लिखना सभी के दिल में यूं घर बसाना
कहीं पे नुक़्ता कहीं पे मजमूॅं नहीं महारत हुई नहीं है

अभी चमन का है शौक़ तुझको ‌ अभी बहारें भी मुस्कुराएं
है दूर 'दीपक' अभी ख़िज़ाएं अभी रिफ़ाक़त हुई नहीं है

अभी क़ना'अत पसंद 'दीपक' है गुम मोहब्बत की वादियों में
अभी है ख़ामोशी दिल पे तारी कोई शिकायत हुई नहीं है

© ©Deepak