...

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निग़ाहों में श्मशान लगता !
सूनी आंखों का सपना हर लम्हा लम्हा सुनसान लगता है,
एक चिराग धिमी जल रही जो सफ़र का अंजान लगता है,,

ख़्यालो की तरंगों से ख़्वाब कभी ग़मगीं बेजान लगता है,
हक़िक़त ज़िंदगी की आजमाइश तज़रबा में ज़ान लगता है,,

सूना सूना दुनिया जहां दिल का दरिया परवान लगता है,
ज़ुल्मतो में तन्हा रातें हर जुबां पे बातें आसान लगता है,,

कशमकश में गुजरती क़दमे राख सी धूल भी पाषाण लगता है,
कायनात की अज़ीम ज़माल फिर भी निग़ाहों में श्मशान लगता है...,,

~ अलिशायरा🦋
© †𝘽𝙧𝙤𝙠𝙚𝙣.𝘼𝙣𝙜𝙚𝙡✍