नासमझ मैं था.....
तू थी समझदार,
नासमझ मैं था
लकीरें हाथों में थी नहीं,
साथ होने को तैयार मैं था
सफ़र...
नासमझ मैं था
लकीरें हाथों में थी नहीं,
साथ होने को तैयार मैं था
सफ़र...