बेवजहा सा
बेवजहा सा चला जा रहा हूं
अब नहीं है कोई होश अपना
बहुत कुछ छूट गया मेरा पीछे
वो मुझे वापस अपनी ओर खींचे
पहले जरा मंजिल को तो छूं लू
फिर देखूंगा वापसी का हसीन सपना
बेवजहा सा खुद को ढोये जा रहा हूं
इस दुनिया के सब बाजारों में
कटते थे जो दिन तेरी बाहों के हारो में
कटते हैं वो अब सूरज के कड़े उजियारों में
बस रातें अब भी कटती है मेरी उन्ही बहारों में
आंखें बंद करके मैं खो जाता हूं तेरी आंखों के तारों में
बेवजहा सा खुद को सता रहा हूं
खुद को सताना भी इक जुर्म संगीन सा हो जाता है
दिन भर में जहां मौसम गमगीन सा हो जाता है
रात को तेरी यादों से शमां कुछ रंगीन सा हो जाता है
यूं तो कहता हूं कि तू अब इतना याद नहीं आता है
बस खाते वक्त खाना कुछ नमकीन सा हो जाता है
बेवजहा सा जीये जा रहा हूं
अब नहीं है कोई होश अपना
बस बेवजहा सा....... मैं ....
© surajbaliyan_
अब नहीं है कोई होश अपना
बहुत कुछ छूट गया मेरा पीछे
वो मुझे वापस अपनी ओर खींचे
पहले जरा मंजिल को तो छूं लू
फिर देखूंगा वापसी का हसीन सपना
बेवजहा सा खुद को ढोये जा रहा हूं
इस दुनिया के सब बाजारों में
कटते थे जो दिन तेरी बाहों के हारो में
कटते हैं वो अब सूरज के कड़े उजियारों में
बस रातें अब भी कटती है मेरी उन्ही बहारों में
आंखें बंद करके मैं खो जाता हूं तेरी आंखों के तारों में
बेवजहा सा खुद को सता रहा हूं
खुद को सताना भी इक जुर्म संगीन सा हो जाता है
दिन भर में जहां मौसम गमगीन सा हो जाता है
रात को तेरी यादों से शमां कुछ रंगीन सा हो जाता है
यूं तो कहता हूं कि तू अब इतना याद नहीं आता है
बस खाते वक्त खाना कुछ नमकीन सा हो जाता है
बेवजहा सा जीये जा रहा हूं
अब नहीं है कोई होश अपना
बस बेवजहा सा....... मैं ....
© surajbaliyan_