शिकायतों का दौर खत्म
अब शिकायतों का दौर खत्म
हकीकत से रूबरू कराऊंगा।
तब होगा इल्म तुझे, तेरे किए गुनाहों का
होगा अफ़सोस तुझे, क्या तूने है खो दिया।
लगा तोहमतें मुझ पे, भरी महफ़िल में मुझे
रुसवा तूने किया था, सुकून मेरा छीना था।
मैं बीच आस्मां में था, जब हजारों ख़्वाब...
हकीकत से रूबरू कराऊंगा।
तब होगा इल्म तुझे, तेरे किए गुनाहों का
होगा अफ़सोस तुझे, क्या तूने है खो दिया।
लगा तोहमतें मुझ पे, भरी महफ़िल में मुझे
रुसवा तूने किया था, सुकून मेरा छीना था।
मैं बीच आस्मां में था, जब हजारों ख़्वाब...