मुझे सहल हो गई मंज़िलें...! 📝
मुझे सहल हो गईं मंजिलें वो हवा के रुख भी बदल गये ।
तिरा हाथ हाथ में आ गया कि चिराग राह में जल गये ।
वो लजाये मेरे सवाल पर कि उठा सके न झुका के सर,
उड़ी जुल्फ़ चेहरे पे इस तरह कि शबों के राज मचल गये ।
वही बात जो न वो कह सके मिरे शेर-ओ-नज़्मे आ गई,
वही लब...
तिरा हाथ हाथ में आ गया कि चिराग राह में जल गये ।
वो लजाये मेरे सवाल पर कि उठा सके न झुका के सर,
उड़ी जुल्फ़ चेहरे पे इस तरह कि शबों के राज मचल गये ।
वही बात जो न वो कह सके मिरे शेर-ओ-नज़्मे आ गई,
वही लब...