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मन की पाति ✍️
मन की पाति पर कुछ बाति लिखने का मन करता है,
गुज़र चुके उन लम्हों में फिर जीने का मन करता है!

ऐसा लगता कितना जीवन बीत गया कितना बचा,
इस जीवन को कलमबद्ध करने जा मन करता है!

सोचकर देखें तो लगता क्या ही जीवन में आनंद था,
दादा दादी,नाना नानी से क़िस्से सुनने का मन करता है!

ख़ुद को उस मुक़ाम पर पहुँचा दिया जिसकी दरकार थी,
उस मुक़ाम के हर संघर्ष को सहेजने का मन करता है!

प्रभु से ग़र माँगने को कोई वर मिले ज़िन्दगी में ,
ज़िन्दगी के सुहाने दिन दोहराने का मन करता है !

धन्यवाद उस प्रभु को जिसने मानव जीवन दान दिया ,
हर पल का आभार प्रकट करने का मन करता है !!
© गुलमोहर