...

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" मुलल्मा प्यार का "
मुलम्मा प्यार का ऐसा उसने चढ़ाया हुआ है,
कई खूबसुरत कन्यायों को फंसाया हुआ है।
खुद ही चली आतीं फिर फंस के रह जातीं,
जाल कुछ इस तरह पट्ठे ने फैलाया हुआ है।
कई बालाओं को अब तक दे चुका है धोखा,
सफ़लता समझ इसे अपनी इतराया हुआ है।
खोला नहीं किसी बाला ने कच्चा चिट्ठा इसका,
शातिर उस्ताद है फन का खेला खाया हुआ है।
चाह कर भी मुँह अपना नहीं खोलती कोई बाला,
'वीडियो' कुछ ऐसा उन पर फिल्माया हुआ है।
हौंसले बढ़े हैं जनाब के इस कदर के पूछो नहीं,
धंधा प्रेम का खूब ठाठ बाठ से जमाया हुआ है।
अपने किये पर कोई शर्मिंदगी नहीं ग्लानी नहीं,
खुमार यूँ आँखों में कामयाबी का छाया हुआ है।
ना जाने कितने और शिकार फाँसेगा ये शिकारी,
अय मौला क्यों नज़रों को तूने हटाया हुआ है।
धोखा देते बर्बाद ज़िन्दगी किसी की देते हैं कर,
या खुदा ऐसे लोगों को क्योंकर जिलाया हुआ है।