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गज़ल:टूटे ख्वाब
दरिया किनारे ,मेरे नैना के धारे
उम्मीदों के सहारे ,,बह गए मेरे अश्को के धारे
सर्द फिजाओं की बहारें
खिलखिला रहे है इनमे फूलों के सितारे
क्यो गुमशुम है इलाही तू देख तो सही जल थल के नजारे
दरिया किनारे ,मेरे नैना के धारे
अश्क़ बहा रहे है टूटे ख्वाब मेरे सारे ।।
ये सर्द मौसम के भी इशारे
क्यो तडपाए मेरे बिखरे हुए जज्बात सारे
किसका हूं मैं अब,क़ौन है अब अपने हमारे
दरिया किनारे ,मेरे नैना के धारे ।।
कहाँ मैं लगाऊं किसको आवाज़ें
किसको सुनाऊ बिखरे हुए साज की तारे
उलझा हुआ हूँ मिलते नही है जीने के सहारे
दे दे मुझे कोई अपनी बाँहो के सहारे
टूटे हुए दिल की यही है आवाजें
दरिया किनारे ,मेरे नैना के धारे ।।
बंजर हुए दिल पर कैसे ख़िलाउ फूलों की बहारें
खोई हुई है मंजिल ,बुझे है सितारें
फ़ना हो रही है मेरी ख्वाहिशें
फ़ौत हो रहे है अब बिखरे हुए ख्वाब मेरे सारे
दरिया किनारे ,मेरे नैना के धारे ।।
✍️imran ilahi
From meerut 7983392711