गज़ल:टूटे ख्वाब
दरिया किनारे ,मेरे नैना के धारे
उम्मीदों के सहारे ,,बह गए मेरे अश्को के धारे
सर्द फिजाओं की बहारें
खिलखिला रहे है इनमे फूलों के सितारे
क्यो गुमशुम है इलाही तू देख तो सही जल थल के नजारे
दरिया किनारे ,मेरे नैना के धारे
अश्क़ बहा रहे है टूटे ख्वाब मेरे सारे ।।
ये सर्द मौसम के भी इशारे
क्यो तडपाए मेरे बिखरे हुए जज्बात...
उम्मीदों के सहारे ,,बह गए मेरे अश्को के धारे
सर्द फिजाओं की बहारें
खिलखिला रहे है इनमे फूलों के सितारे
क्यो गुमशुम है इलाही तू देख तो सही जल थल के नजारे
दरिया किनारे ,मेरे नैना के धारे
अश्क़ बहा रहे है टूटे ख्वाब मेरे सारे ।।
ये सर्द मौसम के भी इशारे
क्यो तडपाए मेरे बिखरे हुए जज्बात...