...

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तुम्हारा नाम
आज फिर छलक गया था
ठहरे हुए एक ख़्वाब का दरिया
फिर लहलहा उठी थी
मेरी नज़रों की वीरानी
जब पुकारा तुम्हारा नाम
किसी ने स्टेशन पर
यूँ तो ऐसे...