...

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तुम्हारी बाहों
तुम्हारी पीली शूट की बाहे,
मुझे अब भी कस कर पकड़ती है
तुम्हारे बाल पीछे करते वक़्त,
मेरी हाथ तेरे झुमके को छूति है
मुझे वह तकिया अब भी साइड मे पड़ा ताकता है
मुझसे ज्यादा वो तुम्हारी बहों को याद करता है,
पहले मैं चिढ़ता था उससे अब चिढ़ता नहीं
बस कहता है मैं अब भी तुम्हारा हूँ किसी ओर का नहीं,

तुम्हारी करवट वाली साइड अब भी खाली है
पर खाली नहीं मेरी हथेली अब भी ढूंढ लेती है
बस तुम्हारे होने का अहसास वहां सिहर उठता है

ओस भीगे उस क्षण को याद करता है
बस मेरे भीगे होंठ अब भी आँखों की नामी साथ देता है

एक बादल प्रेम का उड़ता है
मेरे आसमान से तुम्हारे छत की तरफ
मेरा सावन तुम्हारे शहर मे जब बरसता हैं
आएगी जब तुम्हे भी वो खुशबू
तुम्हारा देह भी और रूह भी आँचल तेरा जब भीगेगी,
किसी दिन इंद्रधनुष् के हाथों जवाबी टेलीग्राम मुझे भेजोगी,

अमृत...
© अmrit...