...

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ताउम्र कैद हूँ
हर्शबा मे उनमे समा जाती हूँ
ऐसा क्या हैं जो ताउम्र कैद हूँ
बड़ी खता सी लगे इस सफ़क़ मे
गर इश्क़ भी कहूँ तो मैं ग़लत हूँ

उनके वजाहत जैसे कोई नूर हैं
दीदार करूँ तो वो पंछी उड़ जाते हैं
मेरा ईज़ा उनसे तक़सीम करती हूँ
जैसे रफी़क़ हैं वो, मैं ख़ालिस उनका हूँ

उनके मुश्क से मैं दुरुस्त हूँ,
उनके होने न होने से फर्क नहीं
मेरी रूह-ए-पाक की वो आज़ाद पंछी हैं
उनके आने के जलवें का दीवानी हूँ

मेरी हर दर्याफ्त की वो रहगुज़र हैं
अब क्या गिला मेरा सय्याद का
चश्मदीद मेरी तपिश-ए-दिल की
कितनी आजादी से उन गली मे मैं कैद हुँ

© afi@ ✍️
2:29am
22may2024

word meaning-
harshaba- har raat
taumra- zindegi bhar
safaq- pinjra
wajahat- chehra
taqseem- bantna
rafeeq- dost
khalis- sirf
mushk- mehek (kasturi)
sayyad- sardar
chashmdeed- akhein dekhna