...

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इतराज
अंधकार से लिपटा इतराज है,
रौशनी की तलाश में वही राज है।

सवालों की गहरी राहों में,
उत्तरों की छाया में छुपा एक सवाल है।

चुनौती से भरा हर कदम है,
मंजिल की परवाह किए बिना ही जवाब है।

आँधी है दिल में,
बारिशों की सनसनी,
इतराज़ की आवाज,
बुनती है कविता यहाँ।

रुका नहीं फिरता,
ये बारिश का सिलसिला,
इतराज़ की आग,
जलती है हर तरफ यहाँ।

सुनी रातों में बसी रौशनी है,
इतराज नहीं, एक सपना है।

इतराज है दिल की गहराइयों से,
सुनना चाहता है वह अपनी बातें।

© Deba Rath