...

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हकीकत से खुदको रूबरू कराउ भी तो कैसे?
ये वक्त मानो थम सा गया है,
ज़ेहन में मेरे किस्से हज़ार है

पर दिल कुछ लिखने की चाहत नही रखता आजकल,

बेबस देखकर आसपास सबको,
मै खुदको हिम्मत दूँ भी तो
कैसे,

रगो में रवानी तो आज भी पहले जैसी है
पर हकीकत आज की बेहद दर्दनाक है

हर ओर दर्द का मंज़र है
सब कोशिशे यूँ नापाक है
मै आशा की किरण लाउ भी तो कैसे,

दुनिया को मैने अपना माना है
पर दुनिया बहुत बड़ी है
इस छोटे से कस्बे से
हर इंसान तक मदत पहॅुचाउ भी तो कैसे

हकीकत से खुदको रूबरू कराउ भी तो कैसे?


© yours_manu