...

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ज़हर इंसान तेरे लफ्ज़ों सा कहीं भी नहीं
ज़हर बातों में है तो एहतियात किया कीजिए...
ज़ख्म औरों को यूं ना इस क़दर दिया कीजिए..

दर्द उठेगा तो बद्दुआ ही निकलेगी साहब...
इस अज़ाब से जहां तक हो बचा कीजिए...

नही कुछ हासिल किसी का दिल दुखाकर...
इस हकीकत को भी ज़रा समझा कीजिए...

परेशानियां किसी को देकर मिलेगा भला क्या...
बस अपनी ज़ुबान के चलने पर एहतियात किया कीजिए ...

आएगा एक दिन ऐसा के लोग बचने लगेंगे तुमसे..
इस तन्हाई की सज़ा से ज़रा बचा ही कीजिए...

एक नसीहत है ऐ इंसान तेरे लिए सुन इसको...
ये एहतियात वो दवा है जो बोलने से पहले लिया कीजिए ...

© sydakhtrr