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जब नेह कान्हा से हो...
जब गिरिधर से प्रेम हो तो अन्य से नेह कैसा,
जब कान्हा साथ हो तो राधा को भय कैसा,
जब वो ग्वाला ही सखा हमारा तो यह सूनापन कैसा,
जीवन नैया का जब वही नाविक तो तूफानों से डरना कैसा,
जब हृदय में वही बस गए तो हृदय का टूटना कैसा,
जब दुनिया ही कृष्णमय लगे तो घबराना कैसा,
मोह ने उसके बांधा ऐसा तो माया से बंधना कैसा,
जब प्रेम ही कान्हा तो विरह बिन जीना कैसा,
सासों की माला पे उसी का नाम फिर दूजो से बैर कैसा,
नेह के इस पथ पर चलते ठोकरे खाई कितनी फिर दुन्यवी राह से डर कैसा,
जब हृदय में ही राधा कृष्ण हैं, तो अवगुण को सहारा कैसा,
धैर्य मैं मीराबाई हो गुरु तो आहत होने से रुकना कैसा,
जब प्रीत कान्हा हो तो जग पे आधार कैसा,
जब गिरिधर से प्रेम हो तो अन्य से नेह कैसा ।

© P. Parmar