नासूर उभर आते है जिंदगी में कभी कभी
वक़्त की घड़ी में बिगड़ जाते है रिश्ते,
जब उभर आते है नासूर कभी कभी,
न जख्म है जिस्म पे फिर भी,
जब देखता हूँ निगाहों में उसके कभी,
लगता है मेरी औकात कही नही,
जब उभर आते है नासूर कभी कभी,
था कोना कोई दिल मे उसके तड़पता हुआ,
चाहता उसके लिए वो दिल...
जब उभर आते है नासूर कभी कभी,
न जख्म है जिस्म पे फिर भी,
जब देखता हूँ निगाहों में उसके कभी,
लगता है मेरी औकात कही नही,
जब उभर आते है नासूर कभी कभी,
था कोना कोई दिल मे उसके तड़पता हुआ,
चाहता उसके लिए वो दिल...