...

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सुकून के लम्हात को ढूंढ रहा हु कुछ ,हां मैं लिख रहा हू कुछ
हां लिख रहा हूं कुछ
इस बारिशी आधी रात में
अपने ख्यालों से बुन रहा हूं कुछ
हां मैं लिख रहा हूं कुछ।

आसमान से गिरती हुई बूंदे
ठंडी हवा के झोको का मुझसे उलझना
इस लम्हे को खुदमे जी रहा हूं कुछ
हां मैं लिख रहा हूं कुछ।

अजीब कशमकश में पड़े मेरे दिल से
आसमान की सलाह को सुन रहा हूं कुछ
हां मैं लिख रहा हूं कुछ

इस अंधेरी आधी रात में
सुकून के लम्हात को ढूंढ रहा हूं कुछ
बस मैं लिख रहा था कुछ ।
© Ayush_