...

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मैं कविता हूँ.....


मैं कविता हूँ...
एक दिल से दिल तक पहुँचती आवाज़ हूँ मैं,
एक रूह को रूह से छूता साज़ हूँ मैं,
धनक हूँ मैं सनक भी मैं ...

मैं कविता हूँ...
बेपरवाह कलम से बहती सियाही हूँ मैं,
अंगिनतान विचारों में भटका हुआ राही हूँ मैं,
पुकार हूँ मैं गुंहार भी मैं...

मैं कविता हूँ...
भूली बिसरी रीत हूँ मैं,
किसीका बिछड़ा हुआ मीत हूँ मैं,
हसीं हूँ मैं आंसू भी मैं...

मैं कविता हूँ...
माँ की लोरी का...