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क्या कहें उस बलिदान के बारे में..
जो सरहद पर खड़ा,
अपने मातृभूमि के लिए लड़ा,
कितना भी हो अंजाम बुरा,
उसने फिर भी रणभूमि ना छोड़ा,
उसका बलिदान है सबसे बड़ा,
जरा सोचो उस बलिदान के बारे में,
जब थें हम आनंद के उजियारे में,
तब वे थें शहादत के अंधियारे में,
क्या कहें उस बलिदान के बारे में...
क्या कहूं उस महामानव को,
शत्रू उस पर झपटा,
मातृभूमि के लिए वो चला गया,
घर पहुंचा तिरंगे में लिपटा,
उस कफ़न में भी रंग था अभिमान का,
कितना महान वो परमवीर था,
खड़ा रहा सरहद पर एक चट्टान सा,
क्योंकि उसे चिंता नहीं थी
मृत्यु के फरमान का.
क्या कहें उस बलिदान के बारे में...
उसका भी एक परिवार था,
उन्हें उसके आने का इंतजार था,
उन्हें क्या पता था इस शहादत के अंधकार का,
ऐसी क्यों हालत हुई,
उनके इस सहारे का,
क्या कहें उस बलिदान के बारे में...
- Vanshika Chaubey
#bharatveer
अपने मातृभूमि के लिए लड़ा,
कितना भी हो अंजाम बुरा,
उसने फिर भी रणभूमि ना छोड़ा,
उसका बलिदान है सबसे बड़ा,
जरा सोचो उस बलिदान के बारे में,
जब थें हम आनंद के उजियारे में,
तब वे थें शहादत के अंधियारे में,
क्या कहें उस बलिदान के बारे में...
क्या कहूं उस महामानव को,
शत्रू उस पर झपटा,
मातृभूमि के लिए वो चला गया,
घर पहुंचा तिरंगे में लिपटा,
उस कफ़न में भी रंग था अभिमान का,
कितना महान वो परमवीर था,
खड़ा रहा सरहद पर एक चट्टान सा,
क्योंकि उसे चिंता नहीं थी
मृत्यु के फरमान का.
क्या कहें उस बलिदान के बारे में...
उसका भी एक परिवार था,
उन्हें उसके आने का इंतजार था,
उन्हें क्या पता था इस शहादत के अंधकार का,
ऐसी क्यों हालत हुई,
उनके इस सहारे का,
क्या कहें उस बलिदान के बारे में...
- Vanshika Chaubey
#bharatveer
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